Apr
13
108 Names Of Shiva And Their Meanings Name Meaning Aashutosh One Who Fulfills Wishes Instantly Aja Unborn Akshayaguna God With Limitless Attributes Anagha Without Any Fault Anantadrishti Of Infinite Vision Augadh One Who Revels All The Time Avyayaprabhu Imperishable Lord Bhairav Lord Of Terror Bhalanetra One Who Has An Eye In The Forehead Bholenath Kind Hearted Lord Bhooteshwara Lord Of Ghosts And Evil Beings Bhudeva Lord Of The Earth Bhutapala Protector Of The Ghosts Chandrapal Master Of The Moon Chandraprakash One Who Has Moon As A Crest Dayalu Compassionate Devadeva Lord Of The Lords Dhanadeepa Lord Of Wealth Dhyanadeep Icon Of Meditation And Concentration Dhyutidhara Lord Of Brilliance Digambara Ascetic Without Any Clothes Durjaneeya Difficult To Be Known Durjaya Unvanquished Gangadhara Lord Of River Ganga Girijapati Consort Of Girija Gunagrahin Acceptor Of Gunas Gurudeva Master Of All Hara Remover Of Sins Jagadisha Master Of The Universe Jaradhishamana Redeemer From Afflictions Jatin One Who Has Matted Hair Kailas One Who Bestows Peace Kailashadhipati Lord Of Mount Kailash Kailashnath Master Of Mount Kailash Kamalakshana Lotus-eyed Lord Kantha Ever-radiant Kapalin One Wears A Necklace Of Skulls Khatvangin One Who Has The Missile Khatvangin In His Hand Kundalin One Who Wears Earrings Lalataksha One Who Has An Eye In The Forehead Lingadhyaksha Lord Of The Lingas Lingaraja Lord Of The Lingas Lokankara Creator Of The Three Worlds Lokapal One Who Takes Care Of The World Mahabuddhi Extremely Intelligent Mahadeva Greatest God Mahakala Lord Of All Times Mahamaya Of Great Illusions Mahamrityunjaya Great Victor Of Death Mahanidhi Great Storehouse Mahashaktimaya One Who Has Boundless Energies Mahayogi Greatest Of All Gods Mahesha Supreme Lord Maheshwara Lord Of Gods Nagabhushana One Who Has Serpents As Ornaments Nataraja King Of The Art Of Dancing Nilakantha Blue Necked Lord Nityasundara Ever Beautiful Nrityapriya Lover Of Dance Omkara Creator Of Om Palanhaar One Who Protects Everyone Parameshwara First Among All Gods Paramjyoti Greatest Splendour Pashupati Lord Of All Living Beings Pinakin One Who Has A Bow In His Hand Pranava Originator Of The Syllable Of Om Priyabhakta Favourite Of The Devotees Priyadarshana Of Loving Vision Pushkara One Who Gives Nourishment Pushpalochana One Who Has Eyes Like Flowers Ravilochana Having Sun As The Eye Rudra The Terrible Rudraksha One Who Has Eyes Like Rudra Sadashiva Eternal God Sanatana Eternal Lord Sarvacharya Preceptor Of All Sarvashiva Always Pure Sarvatapana Scorcher Of All Sarvayoni Source Of Everything Sarveshwara Lord Of All Gods Shambhu One Who Bestows Prosperity Shankara One Who Gives Happiness Shiva Always Pure Shoolin One Who Has A Trident Shrikantha Of Glorious Neck Shrutiprakasha Illuminator Of The Vedas Shuddhavigraha One Who Has A Pure Body Skandaguru Preceptor Of Skanda Someshwara Lord Of All Gods Sukhada Bestower Of Happiness Suprita Well Pleased Suragana Having Gods As Attendants Sureshwara Lord Of All Gods Swayambhu Self-manifested Tejaswani One Who Spreads Illumination Trilochana Three-eyed Lord Trilokpati Master Of All The Three Worlds Tripurari Enemy Of Tripura Trishoolin One Who Has A Trident In His Hands Umapati Consort Of Uma Vachaspati Lord Of Speech Vajrahasta One Who Has A Thunderbolt In His Hands Varada Granter Of Boons Vedakarta Originator Of The Vedas Veerabhadra Supreme Lord Of The Nether World Vishalaksha Wide-eyed Lord Vishveshwara Lord Of The Universe Vrishavahana One Who Has Bull As His Vehicle Please Share---- S.s.venkateshwar Andaman And Nicobar Islands
Read More »
May
31
ऐसा कहते हैं कि भूख और नींद जितनी बढ़ाओ या घटाओ, उतनी बढ़ या घट जाती है ।नींद ऐसी चीज है जो किसी को पत्थर पर सोने से ही आ जाती है और किसी को मखमली बिस्तर पर भी नहीं आती । एक बार अकबर ने बीरबल से पूछा कि दुनिया में सबसे प्यारी चीज क्या है ? तो बीरबल ने बताया कि सबसे प्यारी चीज़ है, नींद। वास्तव में नींद केवल प्यारी ही नहीं है बल्कि जीवन के लिए अति आवश्यक भी है। लेकिन यह प्यारी सी चीज नींद सबके हाथ लगती कहां है? दुनिया में सैकड़ों ऐसे लोग मिल जाएँगे जो नींद के लिए तरसते हैं। नींद ने तो लोगों को कवि और शायर तक बना दिया है। अनेक कवितायें और फिल्मी गाने नींद के ऊपर लिखी गयी है। चिकित्सकों के अनुसार 18 से 40 वर्ष तक आठ घंटे की नींद और 40 से 50 वर्ष तक स्वस्थ मनुष्य के लिए 6 घंटे की नींद ज़रूरी होती है । 50 वर्ष से अधिक उम्र होने पर नींद कम आने लगती है। अनिद्रा, दुनिया भर की आम स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है, जो हर उम्र के पुरुषों और महिलाओं में हो सकती है। एक अनुमान के अनुसार १. 35 प्रतिशत मरीज, जीवन के एक खास दौर में अनिद्रा की शिकायत करते हैं। २. 12 प्रतिशत मरीजों के लिए यह एक आम शिकायत है। ३. स्त्रियां अनिद्रा से अधिक पीड़ित रहती हैं। ४. नींद न आने की समस्या उम्र के साथ-साथ बढ़ती है। अनिद्रा के प्रमुख कारण- आयुर्वेद के अनुसार वात और पित्त बढ़ जाने से अनिद्रा की स्थिति आती है। वात-पित्त मानसिक तनाव के कारण बढ़ता है। इसके बाद कुंठित भावनाओं का स्थान आता है। तीन हफ्तों तक जारी रहने वाली अनिद्रा को ट्रांजियंट इनसोम्निया कहा जाता है। इसका मुख्य कारण मानसिक संघर्ष, अपरिचित या नया वातावरण, सदमा, प्रियजनों की मृत्यु, तलाक या नौकरी में बदलाव आदि हो सकते हैं।नींद ना आने का सबसे प्रमुख कारण टेंशन होता है|शोर-शराबे वाली जीवन शैली, अनियमित दिनचर्या, कम शारीरिक व्यायाम व कम मेहनत करना , ज्यादा शराब सेवन करने से भी नींद नहीं आती है| आधुनिक रिसर्च के अनुसार इस तरह की समस्याओं का कारण हमारी बदलती जीवनशैली भी है। हमारे पास ऐसे बहुत से मरीज आते हैं जो कहते हैं कि उन्हें नींद नहीं आती। अनिद्रा के लक्षण और इससे नुक्सान १. सुस्ती, अनिद्रा के कारण लोगों में दिखाई देने वाला एक आम लक्षण है. २. जागने के बाद आपको खुमारी या सर भारी होने का अहसास होता है. ३. जब एक व्यक्ति की रोज की नींद पूरी नहीं होती तो उसके स्वभाव में चिड़चिड़ापन होने लगता है. ४. ऐसे लोगों को बहुत जल्दी गुस्सा आने लगता है और वे धीर धीरे डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं. ५. उनका व्यवहार असामान्य होने लगता है। ६. अगर अनिद्रा की समस्या काफी लंबे समय के लिए हो जाय तो यह शरीर के लिए गंभीर और चिरकारी हो जाती है जिसका इलाज़ अच्छे चिकित्सक से ही करवाना चाहिए। ७. अगर एक व्यक्ति 30 दिनों से भी अधिक समय तक के लिये ठीक से ना सो पाएं तो इसका अर्थ यह है कि वह चिरकालीन अनिद्रा का शिकार है। ८. अनिद्रा के कारण साइकोसोमैटिक परेशानियां जैसे डीप्रेशन, घबराहट, आत्मबल की कमी जैसी समस्याएं भी होने लगती हैं। उपचार प्रारम्भ में हम इसका इसका उपचार बिना दवाइयों के ही करते है. इनमे कुछ आसान उपाय अपनाने होते हैं जैसे- १. नियमित व्यायाम की आदत डालें, इससे नींद अच्छी आती है, पर सोने से पहले व्यायाम नहीं करना चाहिए। २. सोने के कमरे को शांत व अंधकारमय रखना । ३. सोने व उठने की नियमित दिनचर्या बनाना। ४. शयन के समय शवासन का नियमित अभ्यास। ५. सोते समय सकारात्मक विचारों द्वारा मान को शांत रखना। रोगियों के ध्यान रखने के लिए ज़रुरी बातें १. अगर नींद नहीं आ रही हो तो अभी बिस्तर पर न जाएं। २. बिस्तर पर लेटे लेटे नींद का इंतजार न करें। तभी लेटें , जब नींद आने की फीलिंग हो। ३. हर सुबह एक निश्चित समय पर उठें। रात को निश्चित समय पर सोएं। ४. देर रात तक पार्टियों व टीवी देखने की आदत छोड़ें। ५. दिन में नहीं सोयें ताकि रात में अच्छी नींद आये। ६. सोने से पहले व्यायाम करके भोजन करें। सोने से पहले हाथ, पैर धोयें या स्नान कर लें। ७. सोने से पहले रात को इक सेब का मुरब्बा गरम दूध के साथ लें. ८. तीन ग्राम ताज़े पोदीने के पत्ते २०० ग्राम पानी में २ मिनिट तक उबालने के बाद छान लें. इसमें दो चम्मच शहद मिलाकर गुनगुना गुनगुना रात को सोने से पहले पी जाएँ. ३-४ हफ्ते इसे आजमायें फिर देखिये. ९. कुछ धार्मिक रोगियों से बात करने पर पता चला कि भगवान का भजन कर लें या कोई मंत्र जैसे-गायत्री मंत्र का जपकर लें तो भी नींद आ जाती है। योग चिकित्सा नींद लाने के लिए कई आसान उपाय बताये गये हैं। भारत में योग उनमें से एक उपाय है। पश्चिमी देशों में संगीत को महत्व दिया गया है। अनिद्रा दूर करने का एक तरीका ध्यान भी है। सुबह और शाम लगभग 20 मिनट तक किए गए योगासनों के जरिए शरीर को उतना ही लाभ पहुंचाया जा सकता है, जितना आठ घंटे की नींद लेने से होता है। योगासन हमारे शरीर के तंत्रिका तंत्र को सक्रिय बनाते हैं। ये तनाव से राहत दिलाने में मदद करते हैं, जोकि अनिद्रा का सबसे आम कारण है। शवासन एक ऐसी मुद्रा है जो हमें तनाव से मुक्त कर अनिद्रा से छुटकारा पाने में मदद करती है। इसे केवल 20 मिनट कीजिये; आपको अवश्य ही आराम मिलेगा ऐसा हमारा अनुभव है. इसलिए आपको सलाह दी जाती है कि अगर आप सामान्य उपचार द्वारा ठीक नहीं हो पा रहे हैं तो इसके विशेषज्ञ से मिलकर रोग को जल्दी से जल्दी दूर करने का प्रयास करें जिससे आपकी सेहत अच्छी हो सके. अगर आपकी जानकारी में भी इस रोग से पीड़ित है तो उसे ये जानकारी देकर एक ज़िम्मेदार नागरिक होने का कर्तव्य निभाएं. “सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ॥“ शेष अगली पोस्ट में..... प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में, आपका अपना, डॉ.स्वास्तिक चिकित्सा अधिकारी (आयुष विभाग, उत्तराखंड शासन ) (निःशुल्क चिकित्सा परामर्श, जन स्वास्थ्य के लिए सुझावों तथा अन्य मुद्दों के लिए लेखक से Drswastikjain@hotmail.com पर संपर्क किया जा सकता है )
Read More »
Nov
01
Most People Think Of Pain As Resulting From Physical Injury Or Disease,but Psychological Factors Play A Huge Role In Pain Perception. Pain Is Intimately Tied To Brain Functions That Govern Behaviour And Decision Making, Including Expectation, Attention And Learning. Pain Makes One Feel Tired; It Is Mentally Draining, Making One More Irritable, Emotional And Unable To Remain Positive. It Is Hardly Surprising That As A Result, Things Can Rapidly Spiral Out Of Control. After All, If A Person Goes From Being Energetic, Fun-loving And Happy, To Being Edgy, Withdrawn And Lethargic Because Of The Pain, It Is Inevitable That Very Quickly Family & Social Relationships Begin To Change. An Employer Or Colleague Who Sees A Promising Employee Beginning To Look Tired, Stressed And Tearful, May Quickly Change Their Opinion About That Person’s Abilities To Cope. A Definition Of Pain Pain Is Not Easy To Define. In 1979, The International Association For The Study Of Pain(iasp) Published Its First Working Definition Of Pain: “an Unpleasant Sensory And Emotional Experience Associated With Actual Or Potential Tissue Damage, Or Described In Terms Of Such Damage.” This Definition Emphasizes Not Just The Sensory Nature Of Pain And Its Relation To Tissue Injury, But Also Its Unpleasant Emotional Component And The Fact That It Can Be Felt Just The Same Without An Obvious Cause. The Definition’s Significance Is Exemplified By Pain Lasting Beyond The Point Of Tissue Repair (spinal Cord Injuries) Or Appear Without Tissue Damage (migraines) Or Be Felt By Stimuli That Do Not Normally Evoke Pain, Like Lightly Touching The Skin (post Herpetic Neuralgia). So There Is Much More To Pain Than A Simple Sensory Process. Psychogenic Pain Psychogenic Pain, Also Called Psychalgia Or Somatoform Pain Is Pain Caused, Increased, Or Prolonged By Mental, Emotional, Or Behavioral Factors. Headache, Back Pain, And Stomach Pain Are Sometimes Diagnosed As Psychogenic. Sufferers Are Often Stigmatized, Because Both Medical Professionals And The General Public Tend To Think That Pain From A Psychological Source Is Not “real”. However, Specialists Consider That It Is No Less Actual Or Hurtful Than Pain From Any Other Source. “the Term ‘psychogenic’ Assumes That Medical Diagnosis Is So Perfect That All Organic Causes Of Pain Can Be Detected; Regrettably, We Are Far From Such Infallibility… All Too Often, The Diagnosis Of Neurosis As The Cause Of Pain Hides Our Ignorance Of Many Aspects Of Pain Medicine.” Ronald Melzack, 1996. Why Visit A Psychologist For Pain? One Might Wonder “why Consult A Psychologist If I Have Pain? Are You Telling That The Pain Is All In My Brain?” In One Word, No! Pain Is Seldom, If Ever Exclusively Psychologically Caused. However, The Mind And The Body Are Tied Together In Physiological & Philosophical Terms, And The Mind Can Either Be Of Incredible Help In Healing Or Can Be An Overwhelming Obstacle. Consulting A Psychologist Certainly Does Not State That The Pain Is All In The Person’s Brain, As Unfortunately Some Clients Have Been Advised By Physicians Unable To Establish The Physical Basis Of The Pain. How Can Psychology Help? Psychology May Reverse Some Of The Impact Of The Pain Giving People A Greater Sense Of Control, Reducing Anxiety, Whilst Improving Memory, Concentration And Self-esteem. The Aim Is To Help People Work Out How To Live Their Life As Normally And In The Most Satisfying Way Possible, Despite The Pain. The Psychologist Will Not Tell How To Live One’s Life- After All You Are The Best Expert On How To Be Yourself. Our Role Is To Help One Explore And Discover What Things In Life Are Important And Meaningful, And What Factors Past And Present Stand In The Way Of Regaining Control Of His Or Her Life. Psychologists Assess And Treat Individuals Coping With Chronic Pain. Assessment Often Involves Examination Of Coping Skills And Looking For The Presence Of Depression, Post-traumaticstress And Other Disorders Which Can Occur In Chronic Pain And Traumatic Injuries. Psychologists Employ Treatment Strategies Such As Muscle Relaxation And Cognitive-behavioural Approach To Help Manage Pain And Improve Functioning. Chronic Pain Causes Disruption Of Self-esteem, Occupational & Family Roles. Stress Reactions And Pain Cause The Mind & Body To Become Aroused And Ready For Action. Increased Emotional And Physical Tension Accompany This State Which May Become Chronic, Resulting In Further Increased Pain, Reduction Of Function And Increased Risk Of Anxiety & Depression. Chronic Pain Sufferers May Find It Difficult To Focus On Things Other Than Their Pain, And Lose Access To The Satisfying Things They Previously Enjoyed. Others May Find It Difficult To Reduce Their Expectations And May Overdo Activities Resulting In Further Injuries Or A Cycle Of Overwork And Disability. Relaxation Therapy Along With Cognitive Behaviour Therapy Is Our First Line Of Treatment, Along With Medical Interventions. It Is Customized To One’s Individual Needs, And May Include: Relaxation Training Cognitive Restructuring Stress Management Sleep Hygiene Activity Pacing Coping Strategies & Assertiveness Training The Psychological Interventions Which We Provide At Axon Pain Management Are Highly Effective In Reducing Pain, Disability And Distress, With A Positive Impact On Your Quality Of Life. About The Author: Dr Johnsey Thomas Is A Registered Practitioner Of Clinical Health Psychology In Hyderabad – India, Associated With Axon Pain Management. He Deals With A Wide Range Of Problem Areas, With A Passion For Working With People Suffering From Pain. He Mentions Chronic Pain As One Of The Most Demanding Problem People Come Across With, Which Can Devastate Lives In Terms Of Work, Activities And Relationships
Read More »