Oct08
Posted by Dr. Shriniwas Kashalikar on Monday, 8th October 2012
"BLIND", "DOG" AND NAMASMARAN: DR SHRINIWAS KASHALIKARएक कहावत है की; "अंधा आदमी चक्की पिसता है; कुत्ता आटा खाता है"
इसीपर यह टिप्पणी है.
HINDI
अंधा आदमी चक्की पिसता है
कुत्ता आटा खाता है
और
नामस्मरण (जिक्र, जाप, जप, सुमिरन, सिमरन, रिमेंबरिंग ट्रू सेल्फ़) करते करते
अंधा देखने लगता है
और कुत्ता इंसान बनता है
MARATHI ESSENCE
आंधळे दळते;
कुत्रे पीठ खाते.
नामस्मरणाच्या (जिक्र, जाप, जप, सुमिरन, सिमरन, रिमेंबरिंग ट्रू सेल्फ़); योगाने;
दळता दळता;
आंधळे डोळस होते;
आणि
पीठ खाता खाता
कुत्रे माणूस होते.
ENGLISH ESSENCE:
A "blind" person goes on grinding grains; A "dog" keeps on eating flour; Through the practice of NAMASMARAN, (JAP, JAAP, JIKRA, REMEMBERING TRUE SELF); The "blind" person becomes a visionary; and the "dog" becomes a human! In short; NAMASMARAN is the way of individual and global blossoming.