Oct19
Posted by Dr. Shriniwas Kashalikar on Friday, 19th October 2012
WHY DO WE FEEL LONELY? DR. SHRINIWAS KASHALIKARFrom the state of "water" we gradually get solidified into "ice". We become petty and restricted; during daily hustle bustle of life. Hence we feel lonely. Through NAMASMARAN (JAP, JAAP, JIKRA, SUMIRAN, SIMARAN i.e. self recollection); we get "vaporized"; and are "spread out and mingled". Hence we don't feel lonely.
But one has to verify this.
अकेलापन क्यों खाने को दौड़ता है?
जिंदगीकी भागदौडमे; हम पानी से बर्फ बनते है; एकदेशीय बनते हैl संकुचित बनते हैl इसलिए अकेलापन खाने को दौड़ता हैl नामस्मरण (जप, जाप, जिक्र, सुमिरन, सिमरन; जिसे आत्मस्मरण कह सकते है) से; हम पानीसे बाश्प बनते है. सर्वदेशीय बनते हैl घुल मिल जाते हैl फिर; अकेले होकर भी अकेलापन महसूस नही होताl
लेकिन यह करके देखना होगाl