Oct21
Posted by Dr. Shriniwas Kashalikar on Sunday, 21st October 2012
KUNDALI, KUNDALINI AND PRARABDHA: DR. SHRINIWAS KASHALIKARNAMASMARAN (JAP, JAAP, JIKRA, SUMIRAN, SIMARAN i.e. SELF RECOLLECTION) is an eternal process. Every visionary and incarnation of absolute truth; being omnipresent; emancipates the KUNDALI, KUNDALINI and PRARABDHA of every cell, every individual and the whole universe. This is holistic renaissance or superliving or SAMASHTI YOGA. We are inseparable part of this!
नामस्मरण (जाप, जप, जिक्र, सुमिरन, सिमरन, याने आत्मसाक्षात्कार) यह प्रक्रिया अनादिकालसे चालू है. हर एक द्रष्टा और अवतार; हर एक कोशिका की कुंडली, कुण्डलिनी और प्रारब्ध, हर एक व्यक्ती की कुंडली, कुण्डलिनी और प्रारब्ध; और पूरे विश्वकी कुंडली, कुण्डलिनी और प्रारब्ध; सबमे समाए हुए; सबका उत्थान और कल्याण करते है. इसीको संपूर्ण उर्ध्वगामी क्रांति, समष्टि योग, या सम्यक परिवर्तन कहते है. और हम इसका अविभक्त अन्ग है.