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Aug03
औरोन्के लिए मैं क्या कर सकता हूँ? डॉ. श्रीनिव
औरोन्के लिए मैं क्या कर सकता हूँ? डॉ. श्रीनिवास कशाळीकर

अ: अगर मैं गरीब और बीमार हूँ; मेरे पास धन दौलत, विद्या, और सेवा की और कोई भी साधन सामग्री नही हैं तो मैं औरोनकी सेवा कैसे कर सकता हूँ? ऐसी हालत में मई कौनसा सत्कार्य कर सकता हूँ?
ब: जिससे हम खुद फसते नहीं, जिससे पछतावा होता नहीं, जिससे कुछ भी धोखा होता नहीं, जिससे जहर फैलता नहीं, किसीका नुकसान होता नहीं, किसीपर अन्याय होता नहीं; वह सत्कार्य होता है! जिससे, खुदका, और विश्वका थोड़े पैमाने पर ही क्यों न हो; कल्याण होता है; वह सत्कर्म होता है! जिस कर्मसे हम सत् जानते है; सत्स्वरूप होते है उसे सत्कर्म कहते है!
अ: ऐसा सत्कर्म क्या है?
ब: ऐसा सत्कर्म है; जो गरीबीमें, बीमारीमें, किसीभी विद्या या हुनर के सिवा; और किसीभी हालत में हम कर सकते है; हमें महापुरुषोने दिखाया है; सिखाया है! ऐसा सत्कर्म; जिससे अंदर चैतन्य जाग उठता है, अंदर सच्चाई क़ा सूरज उगता है!
अ: कौनसा है वह कर्म?
ब: वह सत्कार्य है; नामस्मरण (जप, जाप, सुमीरण, सिमाराण, जिक्र; याने परमात्मा क़ा स्मरण!
अ: उससे क्या होगा?
ब: इससे जो चेतना आविष्कृत होती है; वह प्रत्यक्श या अप्रत्यक्श रूपसे सारे दुनियाको नया जीवन देनेवाली होती है! जिस तरह जीनेके लिए प्राणवायु अनिवार्य और अत्यावश्यक है; उसी तरहसे; यह चेतना मनुष्य जीवन परिपूर्ण और कृतार्थ बनाने के लिए अनिवार्य है! अत्यावश्यक है!


Category (Psychology, Stress & Mental Health)  |   Views (1671)  |  User Rating
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