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Posted by Dr. Dewat Ram Nakipuria on Sunday, 21st September 2014
बढ़ते " कंडोम " के व्यवहार ने " एशियन गेम्स " में बढ़ाया सेक्स रोग या एड्स का प्रकोप,समाज में पनपते खुले सेक्स ने खोली सरकारी आंकड़ों की पोल,सावधानी बरते और नियमित टेस्ट ही बचे हैं एड्स या सेक्स रोग से बचने के उपाय- नहीं तो होंगे इसके शिकार प्रोफेसर डॉ राम :एड्स / HIV तथा यौन रोग (पुरुष,महिला रोग,गर्भपात) विशेषज्ञ
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इंचियोन में 17 वें एशियन गेम्स के उद्घाटन समारोह की शुरुआत हो चुकी है।
इस समारोह को देखने के लिए लगभग 60,000 खेल प्रेमी एस्टेडियम में मौजूद हैं। गौरतलब है कि 17 वें एशियन गेम्स में 45 देशों के 9429 एथलिट हिस्सा ले रहे हैं।खेलों का रंगमंच सज चुका है और एशियाई देशों के तमाम एथलीट एशियन गेम्स 2014 में हिस्सा लेने इंचियोन पहुंच चुके हैं। सभी खिलाड़ी इन प्रतिष्ठित खेलों में मेडल जीतना चाह रहे होंगे ऐसे में जाहिर है कि खुद को फिट रखने के लिए खिलाड़ियों के बीच अच्छे खानपान की मांग होगी....लेकिन एक चीज ऐसी है जिसकी मांग इन दिनों इंचियोन के खेल गांव में सबसे ज्यादा नजर आ रही है। यह चीज है 'कंडोम'। इसकी मांग यहां इतनी तेजी से बढ़ रही है कि इनकी निर्धारित संख्या भी कम पड़ती जा रही है।
दरअसल, एशियन गेम्स आयोजकों की मानें तो खेल गांव जहां पर खिलाड़ी ठहरे हुए हैं, वहां हर दिन 5000 से ज्यादा कंडोम बांटे जा रहे हैं और इनकी मांग रुकने का नाम ही नहीं ले रही। तीन दिनों से कंडोम बांटने का सिलसिला यहां जारी है और हर दिन 5000 की निर्धारित संख्या का स्टॉक भी कम पड़ता नजर आ रहा है।इतने अधिक बढ़ते " कंडोम " के व्यवहार ने " एशियन गेम्स " या फिर इस तरह के खेल आयजनो ने बता दिया है की हम सेक्स या काम वासना के किस तरह शिकार हो गए हैं i खेल के मैदान में कंडोम की क्या खपत होनी ,इसका अर्थ है की इन खेल आयजनो में अय्यासी या फिर काम की दुकान चलती है जिसमे खिलाडी अधिकारी अपने को मजबूत और खुस तथा उत्साह भर दिखने के लिए सेक्स या काम वासना की सहायता लेते हैं i
इन दिनों ये बात अब खुलकर सामने आ गयी की खिलाडी या मेनेजर या फिर कोच या फिर ट्रेनिंग देने वाले पेशावर लोग या फिर खेल प्रशासक या खेल पत्रकार जो इनके साथ जाते हैं वो खुल कर सम्भोग या सेक्स या काम करते हैं क्यूंकि इतने कंडोम की मांग तो यंहा सिर्फ इनके काम के कारन ही आएगी या तो ये अपनी पत्नियों या फिर दोस्त या फिर भाड़े में सेक्स
लड़कियों के साथ सेक्स करते हैं i ये कंडोम तो खेल आयजको को इन खेल टीमों को देने होते हैं बाहरी जनता या दर्शक तो बहार के होटलों में रूककर बहार से कंडोम खरीद अपनी काम वासना को शांत करते हैं i
आयोजकों के मुताबिक 3 अक्टूबर तक चलने वाले इन खेलों के समाप्त होते-होते तकरीबन एक लाख कंडोम बांटे जाने की उम्मीद जताई गई है। गौरतलब है कि है कि हर बड़े खेल आयोजन में इस तरह की प्रक्रिया अपनाई जाती रही है।रिकॉर्ड्स के मुताबिक 1988 जब सिओल ने ओलंपिक खेलों की मेजबानी की थी तब तकरीबन 8500 कंडोम बांटे गए थे। इसके बाद 1992 में बार्सिलोना ओलंपिक के दौरान इसकी संख्या बढ़कर 50 हजार तक पहुंच गई जबकि पिछले ओलंपिक यानी लंदन 2012 में तकरीबन 1,50,000 कंडोम बांटे गए थे।
इन दिनों भारत या दूसरे देश के क्रिकेट के खिलाडी अपने या बहार के देश में खेलने जाते हैं तो अपनी पत्नी या प्रेमिका को साथ ले जाते हैं और ये कहा गया की उनकी काम या सेक्स की वासना पूरी होने पर उनका क्रिकेट का खेल प्रदर्शन अच्छा होता है और जन्हा तक आई पी ल का या टी ट्वंटी का सवाल है तो वंहा तो खेल के बाद रत में होटलों में पार्टी में सेक्स खुल के परोशा जाता है i यानि खुल कर बिना रोक टॉक के खेल जैसी पवित्र स्वस्थ कार्य कर्मो में जब इस तरह सेक्स या काम आने लगा तो हम समझ जाएँ की किस तरह सेक्स संक्रामक रोग या hiv या एड्स फ़ैल सकता है i हमारे सरकारी आंकड़े जो भी कहे पर इस तरह सेक्स का समावेश हमारे बीच या हमारे समाज या हमारे पार्टी या आयजनो में होना लगा है की ये रोग हर समय हमारे दरवाजे पे दस्तक दे रहे हैं और थोड़ी सी भूल हमें इनका शिकार बना सकती है इसलिए बराबर टेस्ट या जांच करवानी जरुरी है i