वर्तमान में लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी सतर्क हो गए हैं. इसके कारण वे अपने खान पान में बदलाव करने से भी नहीं कतराते. इसी कड़ी में एक नया नाम आता है शुगर सब्स्टीट्यूट का जो फिलहाल काफी प्रचलित है.
शुगर सबस्टीट्यूट वे पदार्थ होते हैं जो चीनी जैसी मिठास तो लाते हैं किन्तु उतनी ऊर्जा उत्पन्न नही करते . इससे लोगों के मोटे होने का व वजन बढ़ाने का ख़तरा नहीं रहता . इनमे से कुछ प्राकृत होते हैं कुछ सिंथेटिक. जो सिंथेटिक होते हैं उन्हें आर्टीफीशिअल स्वीटनर्स (Artificial Sweeteners ) कहते हैं.
इनमे से एक है High Intensity Sweeteners जिसमे सुक्रोस से कई गुना मिठास होती है. फलतः स्वीटनर कम मात्रा में लेना पड़ता है जिससे वजन पर असर नहीं पड़ता . Soft drinks में यदि आर्टीफिशियल स्वीटनर डालना हो तो उनमे Maltodextrose डाला जाता है ताकि पहले जैसा स्वाद आ सके . Sugar free tea में Steviol होता है. USA में कुछ शुगर सुबस्टीटयूट प्रयुक्त किये जाते हैं जैसे Aspartame, Neotame, Saccharin, Stevia. हाँलाकि US FDA काफी जांच के बाद ही इनकी सहमति देती है .
अधिकतर शुगर सुब्स्टीटयूट आर्टफिशियल होते हैं हाँलाकि इनमे से कई प्राकृतिक भी होते हैं जैसे Sorbitol, Xylitol Found In Berries, Glycyrrhizin, Stevia And Honey.
कुछ आर्टीफीशिअल स्वीटनर्स हैं-
1.Aspartame-
ये आजकल सबसे अधिक प्रयुक्त किये जाता है. ये एस्पार्टिक एसिड का मेथाय्ल एस्टर है. ये चीनी से २०० गुना अधिक मीठा है . इसका प्रयोग chewing gum और soft drinks में किया जाता है.
2.Saccharin-
चीनी से ३०० से ५०० गुना अधिक मीठा होता है. इसे टूथपेस्ट में प्रयुक्त किया जाता है
3.Sucralose-
चीनी से लगभग ६०० गुना अधिक मीठा होता है
4.Maltitol-
ये एक Polyol है, इसमें ७५-९०% सुक्रोस जितनी मिठास होती है, इसमें कैलोरीस चीनी से आधी होती हैं और ये दांतों को भी नुक्सान नहीं पहुंचाता .इसका प्रयोग चौक्लेट, आइस क्रीम ,toothpaste और mouthwash में करते है.
कुछ प्राकृतिक स्वीटनर्स हैं-
1.Mogrosides-
ये Monk fruit से निकला जाता है.ये चीनी से ३०० गुना मीठा है
2.Sorbitol-
ये सेब, पीच में पाया जाता है. इसका प्रयोग Cough Syrup और Chewing gum में किया जाता है.
3.Glycyrrhizin-
ये Glycyrrhiza glabra (मुलेठी) कि जड से निकला जाता है.इसकी मिठास चीनी से ३० से ५० गुना होती है और ज्यादा देर तक बनी रहती है.
4.Steviol -
ये Stevia rebundiana नामक पौधे से प्राप्त किया जाता है. इसकी मिठास चीनी से ३०० गुना होती है .
5.Honey-
ये आजकल प्रयुक्त किया जाने वाला सबसे प्रिय पदार्थ है . इसे भोजन में, दूध के साथ आमतौर पर प्रयुक्त किया जाता है. भोजन में मिठास के अतिरिक्त इसके कई और फायदे हैं जैसे-
“चक्षुषयं दीपनं स्वर्यम् वृणशोधनरोपणम्” (भावप्रकाश निघन्टु)
अर्थात ये आँखों के लिए अच्छा है , भोजन करने कि शक्ति को बढाता है , गले को अचछा बनाता है और घाव भरता है.
इसमें fructose३८.२%, glucose३१%, glycemic index ३१ से ७८ % होता है . इसके साथ ही इसमें विटामिन्स , मिनेरल्स, और एंटी- औक्सिडेट्स होते हैं जो शरीर को सशक्त बनाते हैं.
क्या गुड को शुगर सब्स्टीट्यूट की तरह प्रयुक्त किया जा सकता है ?
भारत में गुड काफी मात्रा में प्रयुक्त किया जाता है .जिन लोगों को डाईबीटीस होता है उन्हें ऐसा भोजन करने को कहा जाता है जिनका glycemic index अधिक न हो. एक शोध से पता चला कि गुड और चीनी दोनों का लगभग एक समान glycemic index होता है. अतः डाईबिटिक्स में इसे प्रयुक्त नहीं किया जा सकता .
किन्तु गुड के कुछ फायदे भी होते हैं जैसे १०० ग्राम चीनी लगभग ३९८ किलो कैलोरी ऊर्जा उत्पन्न करती है जबकि उतना ही गुड लगभग ३८३ किलो कैलोरी ऊर्जा उत्पन्न करता है .इसके साथ ही ये बल प्रदान करता है .अतः इन लाभों को देखते हुए गुड को चीनी के स्थान पर प्रयुक्त किया जा सकता है .
Sugar substitute से लाभ –
१. चूँकि इनका कम मात्रा में प्रयोग किया जाता है अतः इनसे वजन चीनी कि अपेक्षा कम बढ़ता है
२. चीनी के स्थान पर फलों से निकले जा रहे substitute लेना स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभदायक है
३. चीनी के स्थान पर प्रयुक्त द्रव्य सस्ते होते हैं
४. शुगर सुब्स्टीट्यूट कि सवीर्यता अवधि अधिक होती है.अतः उन्हें उन खाद्यान्नों में प्रयुक्त किया जा सकता है जिन्हें लम्बे समय तक रखना हो .
५. Xylitol दांतों पर प्लेक (plaque) को नही बनने देता .अतः उनको सड़ने से बचाता है.
अगर आपकी जानकारी में भी किसी व्यक्ति को चीनी की बजाय किसी और मीठापन लाने वाले द्रव्य की ज़रूरत है तो जनहित में उसे ये जानकारी शेयर करें .
“सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ॥“
शेष अगली पोस्ट में.....
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आपका अपना,
डॉ.स्वास्तिक
(निःशुल्क चिकित्सा परामर्श, जन स्वास्थ्य के लिए सुझावों तथा अन्य मुद्दों के लिए लेखक से drswastikjain@hotmail.com पर संपर्क किया जा सकता है )