World's first medical networking and resource portal

Community Weblogs

May07
  • भारत में आम तौर पर स्त्रियां घर का सारा काम संभालती हैं. समाज में विवाह से पहले घर में माँ का हाथ बटाने वाली लड़कियां अच्छी मानी जाती हैं . विवाह के बाद वे अपना सारा समय घर के सभी लोगों का ध्यान रखने में लगाती हैं .वैसे ये बात बहुत अच्छी होती है क्योंकि यदि महिलाएं घर का ध्यान न रखें तो घर घर जैसा नहीं लगता , लेकिन सबका ध्यान रखते रखते वे अपना ध्यान रखना भूल जाती हैं जिसका दुष्प्रभाव उनके आगे के जीवन पर पड़ता है और सबसे आम समस्या होती है हड्डियों का कमज़ोर पड जाना .
  • ये समस्या भारत में तो कुछ ज्यादा ही है क्योंकि स्त्रियां यहाँ पर अपने स्वास्थ्य को एकदम नकार देती हैं. हमारे भोजन में दूध , दही ,पनीर, अंडे, मछली, हरी सब्जियां, काजू, बादाम में कैल्शियम की मात्रा भरपूर होती है , लेकिन इन सब खाद्य पदार्थों का प्रयोग मिडिल क्लास की महिलायें कितना करती हैं ये बताना शायद आवश्यक नहीं है !
  • हमारे जीवन के प्रारंभ के ३० से ४० वर्ष तक कैल्शियम हड्डियों को बनाने के काम आता है. हड्डियों का ९९% भाग कैल्शियम का बना होता है. ४० वर्ष के बाद हड्डियों से कैल्शियम के विघटन की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है , अर्थात कैल्शियम धीरे धीरे हटने लगता है. इसके कई सहायक कारण होते है जैसे शारीरिक गतिविधियां, दवाइयां, धूम्रपान , हार्मोन ,जाति व आनुवांशिक लक्षण. इन सब के साथ ही जब महिलायें भोजन में कैल्शियम की कम मात्रा लेती है तो अस्थियां कमज़ोर पड़ जाती हैं, और ओस्टोपोरोसिस की स्थिति बन जाती है .
  • भारत में स्त्रियों में पेल्विक फ्रेकचर ( कूल्हे की हड्डी का फ्रैक्चर) पुरुषों की अपेक्षा दुगुनी मात्रा में होते हैं . ६५ वर्ष कि आयु के बाद ये अनुपात ४ गुना हो जाता है . स्त्रियों में रीढ़ की हड्डी का फ्रैक्चर पुरुषों की अपेक्षा १० गुना अधिक होते है.

कैल्शियम की कमी के क्या कारण हैं-

कैल्शियम की कमी किसी में भी हो सकती है किन्तु ऐसे रोगियों पर मेरे विचार से अधिक होने के कारण निम्न होते हैं-

१. स्त्रियों में होने वाला रक्त का मासिक स्त्राव , प्रजनन की प्रक्रिया और मेनोपौस के दौरान होने वाली Oestrogen harmone की कमी.

२. पुरुषों की अस्थियां स्त्रियों की अपेक्षा अधिक घनी होती हैं.

३. स्त्रियों की आयु पुरुषों कि अपेक्षा अधिक होती है.

४. स्त्रियां भोजन में कैल्शियम की कम मात्रा लेती हैं.

ऐसी अवस्था में क्या करना चाहिए -

१.चूँकि हड्डियों के कमज़ोर होने के शुरुआत में कोई संकेत नहीं मिलते , इसलिए बिना देर किये कैल्शियम को सही मात्रा में लेते रहना चाहिए.

२.सही मात्रा में यदि कैल्शियम को विटामिन डी के साथ लेते रहा जाये तो अस्थि भग्न की संभावना काफी कम हो जाती है , किन्तु अस्थि का जो भाग हट चुका है उसे पुनः वापस स्थापित नहीं किया जा सकता .

बचाव

ऐसे रोगियों को हम बहुत ही सरल उपाय बताते हैं जो हर कोई कर सकता है ; आइये जाने कि वो उपाय क्या हैं -

१. जीवन के हर चरण पर कैल्शियम की आवश्यकता होती है. अतः दूध का सेवन अवश्य करना चाहिए

२. गर्भवती स्त्री में दूध व उससे बने पदार्थों का अधिक सेवन करना चाहिए.

३. ३५ वर्ष से अधिक की आयु में ८०० मिलीग्राम कैल्शियम की मात्रा अवश्य जानी चाहिए.

४. अमीर घरों में भी लोग जंक फ़ूड (चाऊ मीन, बर्गर, पिज़्ज़ा इत्यादि ) खाना अधिक पसंद करते हैं , जो कि स्वाद में तो अच्छा लगता है किन्तु पौष्टिक नहीं होता. ये सब नहीं खाएं.

५. कैल्शियम की कमी न हो इसके लिए कुछ पदार्थ हमेशा खाते रहना चाहिए- जैसे- दूध, पनीर, चीज़, दही, सोयाबीन, हरी सब्जियां, पत्ता गोभी.

६. जो लोग प्रोटीन, नमक, अल्कोहल , कैफीन अधिक मात्रा में लेते हैं उनके मूत्र में से कैल्शियम अधिक मात्रा में शरीर से निष्कासित होता है . अतः ऐसे पदार्थ न खाएं.

७. विटामिन डी भी समुचित मात्रा में लेते रहना चाहिए. इसके लिए मक्खन, नारियल; और यदि मांसाहारी हैं तो अंडे, मछली व कौड लीवर आयल का सेवन करना चाहिए.

८. इन सबके साथ ही नियमित व्यायाम भी आवश्यक है. इसलिए अभी से ही अपने ग्लास को दूध से भरे.

९. यदि कुछ न कर पायें तो नियमित रूप से प्रतिदिन ४ से ५ किलोमीटर पैदल चले जिससे अस्थियां सदैव स्वस्थ बनी रहे.

तो मित्रों ये वो अनुभव थे जो हम अपने रोगियों को बताते हैं और अधिकाँश रोगी इन सबको प्रयोग करने से स्वस्थ रहते है. आपसे अनुरोध है कि नारी शक्ति को शारीरिक रूप से और सशक्त बनाए रखने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक इसे साझा करें !!!

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ॥

प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में,

धन्यवाद !!!!

आपका अपना,

डॉ.स्वास्तिक

(ये सूचना सिर्फ आपके ज्ञान वर्धन हेतु है. किसी भी गम्भीर रोग से पीड़ित होने पर चिकित्सक के परामर्श के बाद ही कोई दवा लें . निःशुल्क परामर्श तथा पब्लिक हेल्थ सम्बंधित अन्य सुझावों के लिए लेखक से drswastikjain@hotmail.com पर संपर्क किया जा सकता है )

 



Comments (0)  |   Category (Family Practice)  |   Views (982)

Community Comments
User Rating
Rate It


Post your comments

 
Browse Archive