भारत में कई दशकों के बाद स्वास्थ्य सेवाओं में ग्रोथ देखने को मिल रही है. न केवल स्वास्थ्य सिस्टम बल्कि सामान्य जन भी अब अपने अधिकारों और हेल्थ तथा फिटनेस के लिए सजग और तत्पर हो रहे हैं.खासतौर पर बड़े शहरों में रहने वाले नौकरीपेशा लोग अपने और परिवार के स्वास्थ्य के लिए दिन प्रतिदिन सजग हो रहे हैं. किसी भी बीमारी या परेशानी आने पर तुरंत अच्छे से अच्छे हॉस्पिटल की तरफ रुख करने से नहीं चूक रहे हैं. रोग होने से पहले ही उसके होने की सम्भावना पता चल जाए और समय रहते ही उसका इलाज़ करा लिया जाय यह मानसिकता अब अधिकाँश शिक्षित लोगों में हो रही है.
परन्तु दुर्भाग्यवश या कहें विदेशी मेडिकल कॉर्पोरेट सिस्टम की (हर किसी से चाहे वह स्वस्थ ही क्यों न हो; उससे) पैसा कमाने की प्रवृत्ति ; जिसके कारण आजकल कम्पनियों में 'master health check-ups' का चलन बढता ही जा रहा है. यह प्रचलन अब हर छोटी बड़ी कम्पनी में व्यावसायिक रूप से फल फूल रहा है. मेरा मानना है की इससे कभी कभी किसी स्वस्थ व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक क्षति भी पंहुचा रहा है. चूँकि इस सिस्टम में बड़ी संख्या में लोग जुड़े हुए हैं इसलिए मेरे दृष्टिकोण से इन तथाकथित 'master health check-ups' के अच्छे और बुरे पहलुओं पर विचार करना ज़रूरी हो जाता है.
किसी भी तरह के सम्पूर्ण हेल्थ चेकअप के लिए तीन महत्वपूर्ण बातें होनी ज़रूरी होती हैं-
१.रोगी की उम्र, लिंग और अन्य कारणों को ध्यान रखते हुए उन्हें नियमित अंतराल पर करवाना.
२.उन सभी टेस्ट और जांचों की एक निश्चित संख्या में ही करना और उनका अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार ही किया जाना.
३.तीसरी और सबसे इम्पोर्टेन्ट बात; वो है उन सभी टेस्ट और जांचों को बिना शारीरिक और मानसिक नुक्सान पंहुचाये हुए करना. साथ ही इस बात को निश्चित करना की अगर जांच में कोई बीमारी सामने आ जाती है तो उसके इलाज के लिए रोगी को सही रास्ता और सलाह देना.
दुर्भाग्यवश हमारे कॉर्पोरेट हॉस्पिटल्स और बड़ी बड़ी फार्मास्युटिकल्स कम्पनियां इन मानदंडों पर फेल हो रही हैं.क्योंकि-
1.इस बारे में कोई भी स्पष्ट नियम कानून नहीं है कि कौन डायग्नोस्टिक सेंटर या अस्पताल इन सभी टेस्ट को करवा सकता है या नहीं. इसी का फायदा उठा कर अनजान से डायग्नोस्टिक सेंटर्स और संदिध प्रतिष्ठा वाले हॉस्पिटल अपना धंधा चला रहे हैं और लोगों के स्वास्थ्य और उनके पैसे से खिलवाड़ हो रहा है.
2.अलग अलग हॉस्पिटल्स और डायग्नोस्टिक टेस्ट वाली कंपनियों में एक Price War या Competition शुरू हो गया है जिसमें लोगों से पैसा कमाने के लिए उन्हें विश्वास दिलवाया जाता है कि जितने ज़्यादा टेस्ट आप करवाएंगे उतने ज़्यादा आप स्वस्थ रहेंगे. जबकि ज़्यादा टेस्ट करवाने का स्वस्थ रहने से कोई भी सम्बन्ध नहीं है.
अगर आप विकसित और अमीर देशों के health screening programs देखेंगे तो आपको जानकार आश्चर्य होगा की किसी भी टेस्ट को करने के लिए उस देश में एक clear national level guideline बनी हुई होती है. इस guideline में कौनसा टेस्ट किसे होना है, कब, कितनी बार, कैसे होना है यह लिखा हुआ होता है.
1.भारत में ऐसा कोई भी मानदंड अभी तक नहीं बनाया गया है. इस कारण लोग कम्पनियों के झूठे विज्ञापन और मुनाफ़ा कमाने की आदत के कारण नुक्सान उठा रहे हैं.
2.सबसे बड़ी चिंता का कारण है बड़ी संख्या और बार बार होने वाले x-rays and CT scans जिनकी अधिक मात्रा हानिकारक किरणें शरीर को नुक्सान पहुंचाती हैं. इन स्कैन को बिना उचित कारण के नहीं करना चाहिए.
3.आजकल ये स्कैन बिना किसी मेडिकल विशेषज्ञ की सलाह के health check packages में लगातार करवाए जा रहे हैं और हममें से अधिकाँश का ध्यान इनके नुकसानदायक पहलू की ओर नहीं जा रहा है.
4.सभी चिकित्सक यह बात जानते हैं की बिना किसी विशेष कारण के ये स्केन्स खासतौर पर chest x-rays नहीं करवाने चाहिए नहीं तो radiation के कारण कैंसर हो सकता है.
5.कुछ सेंटर तो बिना किसी मेडिकल सलाह के Cardiac CT scans भी करवा रहे हैं जिसका कोई भी clinical benefit नहीं होता है और इसमें बहुत अधिक मात्रा में रेडिएशन होता है.
6.ऐसा भी देखने में आ रहा है की pediatric wellness checks के नाम पर छोटे छोटे बच्चों का भी बिना किसी कारण chest x-ray करवाया जा रहा है. यह सब नहीं होना चाहिए.
7.एक दुसरे प्रकार का चलन देखने में आ रहा है और वो है महिलाओं में कैंसर की जांच. इन जांचों में Pap smear और mammography का पैकेज होता है और कहीं कहीं किसी भी उम्र की महिलाओं को इसे करवाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. जबकि इन टेस्टों को करवाने की एक निश्चित आयुसीमा होती है.
8.इन सभी हेल्थ चेकअप में ऐसा भी होता है की अगर किसी व्यक्ति में किसी भी अंदरूनी अंग जैसे lung या liver में बहुत ही छोटी सी गाँठ दिख जाय तो उसे कैंसर होने की संभावना जांचने के लिए फिर टेस्ट किया जाता है.
9.अधिकाँश केसेस में महीनों तक चली जांचों और हज़ारों रूपए की दवा खाने की बाद पता चलता है की कैंसर नहीं है. पर इतने लम्बे समय तक अनेकों डॉक्टरों और डायग्नोस्टिक सेंटर के चक्कर काट काट कर और लाखों रूपए गंवाने के बाद उस मध्यमवर्ग के स्वस्थ व्यक्ति की मानसिक हालत क्या हो जाती है यह तो वो ही जानता है जिस पर बीतती है.
10.चूँकि भारत में इन टेस्ट को करवाने की और उसके रिजल्ट को Interpret करने की कोई National guideline नहीं है.इसलिए हर डॉक्टर इसे अपने तरीके से समझ कर मरीज़ को समझाता है. हम लोग समझते हैं की जितने ज़्यादा डॉक्टरों के पास जायेंगे उतने ज़्यादा स्वस्थ रहंगे; जबकि ये सब टेस्ट करवाने के बाद Clear Report आने के बाद भी हर विशेषज्ञ का उस रिपोर्ट के बारे में अपना अलग अलग मत होता है. जिसके कारण मरीज़ confuse रहता है की किसी की बात मानी जाय और किसकी नहीं.
1.इस प्रकार के टेस्ट करने के लिए good standards होने चाहिए जिसमें स्पष्ट प्रोटोकॉल्स के तहत टेस्ट करने चाहिए.
2.ये टेस्ट आपकी उम्र, लिंग और ज़रूरत होने पर ही विशेषज्ञ की सलाह पर ही करवाए जाने चाहिए.
3.रोगियों को अनावश्यक रेडिएशन से बचाने के लिए बहुत अधिक ज़रूरत पड़ने पर ही X-Ray & CT-Scans आदि करवाने चाहिए.
4.अगर किसी health check package में किये गए टेस्ट में रोगी में कोई abnormality पायी जाती है तो उस रोग से लड़ने के लिए कहाँ जाएँ और क्या करना है इसके लिए वहीं पर ही काउन्सलिंग की सुविधा होनी चाहिए.
मेरा मानना है की आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की खोज डायग्नोस्टिक टेस्टों को सोच समझ कर करवाया जाय तो यह बहुत लाभप्रद है. वहीँ अगर इन्हें दूसरों को देखकर बिना आवश्यकता और बिना विशेषज्ञ की सलाह से करवाते हैं तो इससे अनावश्यक खर्च के साथ साथ आपके स्वास्थ्य को हानि भी हो सकती है. आपको सलाह दी जाती है की जहां तक संभव हो आयुष और प्राकृतिक रूप से उपलब्ध संसाधनों द्वारा स्वास्थ्य लाभ करें और जब बहुत ज़रूरी हो तभी चिकित्सक की सलाह से टेस्ट करवाएं.
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सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ॥
धन्यवाद !!!!
आपका अपना,
चिकित्सा अधिकारी
(आयुष विभाग, उत्तराखंड शासन)
(ये सूचना सिर्फ आपके ज्ञान वर्धन हेतु है. किसी भी गम्भीर रोग से पीड़ित होने पर चिकित्सक के परामर्श के बाद अथवा लेखक के परामर्श के बाद ही कोई दवा लें. चिकित्सा स्वास्थ्य परामर्श , पब्लिक हेल्थ के अन्य मुद्दों तथा जनहित के लिए सुझावों के लिए लेखक से drswastikjain@hotmail.com पर संपर्क किया जा सकता है )